भारतीय मूल की जानी मानी उपन्यासकार किरण देसाई ने विश्व के सर्वोच्च उपन्यासकार सम्मान में से एक मैन बुकर पुरस्कार जीता हैं ।
किरण देसाई का जन्म कब हुआ
किरण देसाई का जन्म 3 सितम्बर 1971 को हुआ । किरण देसाई के माता का नाम अनीता देसाई हैं । अनीता देसाई वो भी जानी मानी उपन्यासकार है ।
किरण देसाई की शिक्षा एवं जीवन का सफर
किरण देसाई अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई ।
किरण देसाई14 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ दिया । किरण देसाई बाद में इंग्लैंड में रहने लगी । किरण देसाई उसके बाद में वे अमेरिका चली गयी और वहां पर उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की पढाई भी पूरी की ।
किरण देसाई भारतीय मूल की अंग्रेजी उपन्यासकार है ।
किस उपन्यास के कारण किरण देसाई को मिला था मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को उनके उपन्यास जिसका नाम द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस की वजह से मिला था ।
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को 2006 में मिला था ।
इस उपन्यास को इस पुरस्कार के अलावा भी खूब सारे अवार्ड मिले थे जिनमे नेशनल बुक क्रिटिक सर्किल अवार्ड भी शामिल था ।
यह उपन्यास कब पब्लिश हुआ था और इसमें कितने पेज थे
यह उपन्यास 31 अगस्त 2006 को पब्लिश हुआ था । यह उपन्यास तक़रीबन 336 पेज का था ।
आज किरण देसाई पुरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है ।
किरण देसाई का जन्म कब हुआ
किरण देसाई का जन्म 3 सितम्बर 1971 को हुआ । किरण देसाई के माता का नाम अनीता देसाई हैं । अनीता देसाई वो भी जानी मानी उपन्यासकार है ।
किरण देसाई की शिक्षा एवं जीवन का सफर
किरण देसाई अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई ।
किरण देसाई14 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ दिया । किरण देसाई बाद में इंग्लैंड में रहने लगी । किरण देसाई उसके बाद में वे अमेरिका चली गयी और वहां पर उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की पढाई भी पूरी की ।
किरण देसाई भारतीय मूल की अंग्रेजी उपन्यासकार है ।
किस उपन्यास के कारण किरण देसाई को मिला था मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को उनके उपन्यास जिसका नाम द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस की वजह से मिला था ।
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को 2006 में मिला था ।
इस उपन्यास को इस पुरस्कार के अलावा भी खूब सारे अवार्ड मिले थे जिनमे नेशनल बुक क्रिटिक सर्किल अवार्ड भी शामिल था ।
यह उपन्यास कब पब्लिश हुआ था और इसमें कितने पेज थे
यह उपन्यास 31 अगस्त 2006 को पब्लिश हुआ था । यह उपन्यास तक़रीबन 336 पेज का था ।
आज किरण देसाई पुरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है ।
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