भारत में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस को आज हर कोई जानता है । दोनों ने ही भारत का मान बढाया है । बताया है की गुरु किसे कहते है ।
स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी ज्ञानी और शांत स्वभाव के धनी थे ।
रामकृष्ण परमहंस ही स्वामी विवेकानंद के गुरु थे । स्वामी विवेकानंद उनके परम शिष्य थे ।
रामकृष्ण परमहंस की कही एक बात स्वामी विवेकानंद को जिससे उनका जीवन ही बदल गया की घटना
एक समय जब स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस से कुछ समय के लिए हिमालय में जाकर तपस्या करने की बात की आज्ञा लेने पहुचे तब उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस ने उनसे कहा कि ।
हमारे आस पास के क्षेत्र के लोग तो भूख से तड़प रहे है । चारो और अज्ञान का अंधेरा फैला हुआ है लोग रोते और चिल्लाते है और तुम हिमालय की गुफा में समाधी के लिए जाना चाहते हो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकार सकेगी ।
इस बात का सीधा असर स्वामी विवेकानंद पर हुआ और स्वामी विवेकानंद दरिद्र नारायण की सेवा में लग गए ।
रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मो की एकता पर जोर दिया था और वे मानवता के पुजारी थे ।
रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब हुआ था
रामकृष्ण परमहंस का जन्म नाम गदाधर चटोपाध्याय था ।उनका जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक स्थान पर हुआ था ।
रामकृष्ण परमहंस पिताजी का नाम खुदीराम था । माताजी का नाम चंद्रमणिदेवी था ।
रामकृष्ण परमहंस से जुड़े हुए कुछ प्रमुख विचारक
रामकृष्ण परमहंस बहुत प्रसिद्ध हुए उनसे जुड़ने वाले ईश्वर चन्द्र विद्यासागर विजयकृष्ण गोस्वामी केशवचंद्र सेन आदि नाम है ।
रामकृष्ण परमहंस एक महान योगी थे । उनकी मूर्ति बेलूर मठ में स्थापित की हुई है ।
रामकृष्ण परमहंस भारत के सच्चे आध्यात्मिक गुरू और उनके विचार हमेशा ही जीवित रहेंगे ।
स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी ज्ञानी और शांत स्वभाव के धनी थे ।
रामकृष्ण परमहंस ही स्वामी विवेकानंद के गुरु थे । स्वामी विवेकानंद उनके परम शिष्य थे ।
रामकृष्ण परमहंस की कही एक बात स्वामी विवेकानंद को जिससे उनका जीवन ही बदल गया की घटना
एक समय जब स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस से कुछ समय के लिए हिमालय में जाकर तपस्या करने की बात की आज्ञा लेने पहुचे तब उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस ने उनसे कहा कि ।
हमारे आस पास के क्षेत्र के लोग तो भूख से तड़प रहे है । चारो और अज्ञान का अंधेरा फैला हुआ है लोग रोते और चिल्लाते है और तुम हिमालय की गुफा में समाधी के लिए जाना चाहते हो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकार सकेगी ।
इस बात का सीधा असर स्वामी विवेकानंद पर हुआ और स्वामी विवेकानंद दरिद्र नारायण की सेवा में लग गए ।
रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मो की एकता पर जोर दिया था और वे मानवता के पुजारी थे ।
रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब हुआ था
रामकृष्ण परमहंस का जन्म नाम गदाधर चटोपाध्याय था ।उनका जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक स्थान पर हुआ था ।
रामकृष्ण परमहंस पिताजी का नाम खुदीराम था । माताजी का नाम चंद्रमणिदेवी था ।
रामकृष्ण परमहंस से जुड़े हुए कुछ प्रमुख विचारक
रामकृष्ण परमहंस बहुत प्रसिद्ध हुए उनसे जुड़ने वाले ईश्वर चन्द्र विद्यासागर विजयकृष्ण गोस्वामी केशवचंद्र सेन आदि नाम है ।
रामकृष्ण परमहंस एक महान योगी थे । उनकी मूर्ति बेलूर मठ में स्थापित की हुई है ।
रामकृष्ण परमहंस भारत के सच्चे आध्यात्मिक गुरू और उनके विचार हमेशा ही जीवित रहेंगे ।
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