Monday, 25 September 2017

नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप मे नाम है यह इतिहास

आज नरेन्द्र मोदी को पूरा विश्व जानता है । विश्व में भारत को एक अलग पहचान भी नरेन्द्र मोदी ने ही दिलायीं है ।
वे इसी तरह देश को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाने का प्रयास करे ।
आज नरेन्द्र मोदी किसी एक पार्टी के नहीं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं।
आज भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने आप को सिद्ध किया है । आज पुरे भारतवासियों को नरेन्द्र मोदी पर गर्व है ।
नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम नरेन्द्र दामोदर दास मोदी है । जनता मोदी जी के नाम को ज्यादा पसंद करती हैं।

नरेन्द्र मोदी का जन्म कब हुआ
नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को हुआ ।
नरेन्द्र मोदी का जन्म वडनगर गुजरात में हुआ ।
नरेन्द्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मोदी और माता का नाम हीराबेन मोदी है ।

नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में
नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपत 26 मई 2014 में ली थी और उनको शपत उस समय के राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने दिलायी थी ।

नरेन्द्र मोदी के नाम है यह इतिहास
नरेन्द्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है । इससे पहले कोई अन्य ऐसे प्रधानमंत्री नहीं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था ।

नरेन्द्र मोदी भारत के 15 वे प्रधानमंत्री है ।

नरेन्द्र मोदी ने अपनी नेतृत्व क्षमता से सबको प्रभावित किया और इसी कारण वे विश्व के सबसे शक्तिशाली नेता में से एक है नरेन्द्र मोदी आज विश्व में अपनी छवि से काफी प्रसिद्ध है ।

नरेन्द्र मोदी को पुरे भारतवासियों की तरफ से शुभकामनाएं ।

रामकृष्ण परमहंस की कही एक बात स्वामी विवेकानंद को जिससे उनका जीवन ही बदल गया की घटना

भारत में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस को आज हर कोई जानता है । दोनों ने ही भारत का मान बढाया है । बताया है की गुरु किसे कहते है ।
स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी ज्ञानी और शांत स्वभाव के धनी थे ।

रामकृष्ण परमहंस ही स्वामी विवेकानंद के गुरु थे । स्वामी विवेकानंद उनके परम शिष्य थे ।

रामकृष्ण परमहंस की कही एक बात स्वामी विवेकानंद को जिससे उनका जीवन ही बदल गया की घटना

एक समय जब स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस से कुछ समय के लिए हिमालय में जाकर तपस्या करने की बात की आज्ञा लेने पहुचे तब उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस ने उनसे कहा कि ।
हमारे आस पास के क्षेत्र के लोग तो भूख से तड़प रहे है । चारो और अज्ञान का अंधेरा फैला हुआ है लोग रोते और चिल्लाते है और तुम हिमालय की गुफा में समाधी के लिए जाना चाहते हो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकार सकेगी ।

इस बात का सीधा असर स्वामी विवेकानंद पर हुआ और स्वामी विवेकानंद दरिद्र नारायण की सेवा में लग गए ।
रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मो की एकता पर जोर दिया था और वे मानवता के पुजारी थे ।

रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब हुआ था 

रामकृष्ण परमहंस का जन्म नाम गदाधर चटोपाध्याय था ।उनका जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक स्थान पर हुआ था ।
रामकृष्ण परमहंस पिताजी का नाम खुदीराम था । माताजी का नाम चंद्रमणिदेवी था ।

रामकृष्ण परमहंस से जुड़े हुए कुछ प्रमुख विचारक

रामकृष्ण परमहंस बहुत प्रसिद्ध हुए उनसे जुड़ने वाले ईश्वर चन्द्र विद्यासागर विजयकृष्ण गोस्वामी केशवचंद्र सेन आदि नाम है ।
रामकृष्ण परमहंस एक महान योगी थे । उनकी मूर्ति बेलूर मठ में स्थापित की हुई है ।

रामकृष्ण परमहंस भारत के सच्चे आध्यात्मिक गुरू और उनके विचार हमेशा ही जीवित रहेंगे ।

Sunday, 24 September 2017

कश्मीर का दूसरा युद्ध कौनसा है जाने

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 के युद्ध को ही कश्मीर का दूसरा युद्ध के नाम से जाना जाता है ।

भारत और पाकिस्तान का 1965 का युद्ध भारत के बड़े युद्ध में से एक था ।
यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के सेनिको के बीच लड़ा गया था ।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ 1965 का युद्ध कब तक चला था
भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध 1965 के अप्रैल माह से लेकर 1965 के सितम्बर माह तक चला था ।

भारत और पकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध कब शुरू हुआ था
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध लगभग 5 अगस्त को शुरू हुआ था उस दिन पाकिस्तान ने भारत की सीमा की तरफ अपने सैनिको को भेजा था ।
भारत की तरफ से इस युद्ध की आधिकारिक घोषणा 6 सितम्बर 1965 को हुई थी ।
वैसे यह युद्ध की गतिविधिया अप्रैल 1965 से शुरू हो चुकी थी ।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 का युद्ध कब समाप्त हुआ था
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 का युद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के बाद हुआ था ।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 का युद्ध 23 सितम्बर 1965 को समाप्त हुआ था ।

इस युद्ध की समाप्ति के बाद ही ताशकंद समझोता हुआ इस समझोते के नाम बारे में हर कोई जानता है ।
भारतीय सैनिको ने इस युद्ध में गजब की बहादुरी दिखाई और अपने प्राणों की परवाह किये बिना देश की रक्षा की और दुश्मनों को मुहंतोड़ जवाब दिया था ।

युद्ध में देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले भारतीय सैनिको को उनकी वीरता के लिए शत शत नमन है ।भारत देश महान देश है ।

Saturday, 23 September 2017

मेघालय राज्य का गठन कब हुआ था और मेघालय राज्य गठन से पहले किस राज्य का हिस्सा था

भारत देश के सभी राज्य की अपनी अलग अलग विशेषता है । सभी राज्य अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है । चाहे कोई भी राज्य हो सभी भारतीय राज्य अनोखे है । सभी मिलाकर भारत एक है ।

भारत के प्रमुख राज्य मे से एक मेघालय भी अपनी प्राकर्तिक सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्ध है । इस राज्य की सुंदरता किसी से छिपी हुई नहीं है ।
मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में स्थित है और इसके उत्तर में असम राज्य स्थित है ।

मेघालय राज्य का गठन कब हुआ था
मेघालय राज्य का गठन 21 जनवरी 1972 को हुआ था ।
यह राज्य अपनी एक अलग पहचान बनायी ।

मेघालय राज्य गठन से पहले किस राज्य का हिस्सा था
मेघालय राज्य गठन से पहले असम राज्य का हिस्सा था । मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग है ।
मेघालय और असम राज्य को अलग ब्रह्मपुत्र नदी करती यह नदी इन राज्यों से गुजरती है ।
सुंदर जगह है मेघालय और इसकी सुन्दरता का विवरण नहीं किया जा सकता है ।

मेघालय अपनी प्राकतिक सुंदरता पर्यटकों को लुभाती है ।
लोग इन्हें देखकर प्रकति के विहंगम द्रश्य के अभिभूत हो जाते है ।

मेघालय की पहाड़ी भाग अत्यंत ही सुन्दर और लुभावना लगता है ।
मेघालय में वन्यजीवों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे हाथी पांडा आदि मिलती है ।

Thursday, 14 September 2017

मनरेगा का पूरा नाम क्या है और कब अधिनियमित किया गया था

मनरेगा भारत की एक बहुत बड़ी ग्रामीण गारंटी रोजगार योजना है ।

मनरेगा का पूरा नाम क्या है
मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है ।

मनरेगा को कब अधिनियमित किया गया था
मनरेगा को भारत में एक ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को 25 अगस्त 2005 में अधिनियमित किया गया था । इस दिन से एक कानून बना जिसका नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 प्रभाव में आया ।

मनरेगा को पहली बार कब शुरू किया गया था

मनरेगा योजना को सबसे पहले 200 जिलो में शुरू किया गया था और 2 फरवरी 2006 को मनरेगा शुरू हुआ था ।

मनरेगा कब पुरे भारत में लागु हुआ
शुरुआत में मनरेगा को केवल 200 जिलो में लागु किया गया और बाद में 2007 और 2008 के मध्य में अन्य 130 जिलो में भी इसको लागु किया गया और बाद में 1 अप्रैल 2008 में मनरेगा को भारत के सभी जिलो में लागु कर दिया था ।

मनरेगा को शुरु करने का क्या उद्देश्य था 
मनरेगा शुरू करने का प्रमुख उद्देश्य यह था की ग्रामीण लोगो की क्रय की शक्ति को बढ़ाना और कौशल पूर्ण और अर्धकौशल पूर्ण लोगो को गारंटी रोजगार प्रधान करना ।

मनरेगा में क्या कार्य करते है
मनरेगा में मुख्य रूप से जल संरक्षण और जल संचयन जंगलो में वृद्धि वृक्षरोपन बाढ़ नियंत्रण तालाबो की खुदाई और छोटे बांधो का निर्माण आदि कार्य किये जाते है ।

मनरेगा को भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढाने के लिए शुरू किया था लेकिन इसमें कहीं कहीं गड़बड़ की भी बीच में खबरे आयी थी जिसने इस व्यवस्था की कमीयां बताई थी ।

भारत में शिक्षक दिवस किस के जन्मदिन पर मनाया जाता है

भारत में शिक्षक दिवस डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है । सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के जाने माने प्रशंसक थे । सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रसिद्ध शिक्षाविद भी थे ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब हुआ था
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को हुआ था । सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तिरुटनी गांव मे हुआ था । यह गांव तमिलनाडु में है ।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था । सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था । वे एक निर्धन परन्तु एक विद्वान् ब्राह्मण थे ।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की माता का नाम सीतामा था ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में
सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति थे । सर्वपल्ली राधाकृष्णन कार्यकाल 1952 से शुरू हुआ था ।सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर रहे ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति के रूप में
सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने थे । सर्वपल्ली राधाकृष्णन कार्यकाल 1962 से 1967 तक चला था ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न कब मिला था
सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न वर्ष 1954 में दिया गया था ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय संस्कृति के महत्व को समझा । सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यह भी जाना की भारतीय संस्कृति में सभी धर्मो का आदर करना सिखाया गया है । सभी धर्मो के लिए समानता का भाव भी हिन्दू संस्कृति की विशिष्ट पहचान है ।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Wednesday, 13 September 2017

ओलम्पिक में भारत देश को पदक दिलवाने वाली पहली महिला खिलाड़ी

ओलम्पिक में भारत देश को पदक दिलवाने वाली पहली महिला खिलाड़ी का नाम कर्णम हैं । मल्लेश्वरी जिन्होंने साल 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक में भारत देश को पदक दिलवाया था ।
उन्हें आंध्रप्रदेश की आयरन गर्ल भी कहा जाता है ।

कर्णम मल्लेश्वरी ने किस खेल में जीता था भारत देश के लिए पदक
कर्णम मल्लेश्वरी ने महिलाओं के 69 किलो भारतोलन वर्ग में भारत को कांस्य पदक दिलवाया था । यह कांस्य पदक 2000 मे हुए सिडनी ओलंपिक में जीता था । इस तरह कर्णम मल्लेश्वरी भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गयी जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता था ।

कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म कब हुआ 
कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म 1 जून 1975 को अम्दालावासा श्रीकाकुलम क्षेत्र आंध्रप्रदेश में हुआ था ।

कर्णम मलेश्वरी के कुछ अन्य विश्व स्तर के पदक
1992 में एशियन चैंपियनशिप में 3 रजत पदक जीते थे ।
विश्व चैंपियनशिप में 3 कांस्य पदक जीते थे ।
वर्ल्ड चैंपियनशिप 1994 में 2 गोल्ड मैडल भी जीते थे ।
कर्णम मल्लेश्वरी ने कुल अपने करियर में 11 गोल्ड मैडल जीते है ।

कर्णम मल्लेश्वरी को भारत के कोनसे उच्च सम्मान मिले हैं
अर्जुन पुरस्कार साल 1994 में मिला था ।
1995 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार मिला था ।
1999 में पद्म श्री पुरस्कार भी कर्णम मल्लेश्वरी को मिला था ।

कर्णम मल्लेश्वरी भारत की शान हैं ।

Saturday, 9 September 2017

भारतीय मूल की जानी मानी उपन्यासकार ने विश्व के सर्वोच्च उपन्यासकार सम्मान में से एक मैन बुकर पुरस्कार जीता

भारतीय मूल की जानी मानी उपन्यासकार किरण देसाई ने विश्व के सर्वोच्च उपन्यासकार सम्मान में से एक मैन बुकर पुरस्कार जीता हैं ।

किरण देसाई का जन्म कब हुआ
किरण देसाई का जन्म 3 सितम्बर 1971 को हुआ । किरण देसाई के माता का नाम अनीता देसाई हैं । अनीता देसाई वो भी जानी मानी उपन्यासकार है ।

किरण देसाई की शिक्षा एवं जीवन का सफर
किरण देसाई अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई ।
किरण देसाई14 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ दिया । किरण देसाई बाद में इंग्लैंड में रहने लगी । किरण देसाई उसके बाद में वे अमेरिका चली गयी और वहां पर उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की पढाई भी पूरी की ।
किरण देसाई भारतीय मूल की अंग्रेजी उपन्यासकार है ।

किस उपन्यास के कारण किरण देसाई को मिला था मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को उनके उपन्यास जिसका नाम द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस की वजह से मिला था ।
मैन बुकर पुरस्कार किरण देसाई को 2006 में मिला था ।

इस उपन्यास को इस पुरस्कार के अलावा भी खूब सारे अवार्ड मिले थे जिनमे नेशनल बुक क्रिटिक सर्किल अवार्ड भी शामिल था ।

यह उपन्यास कब पब्लिश हुआ था और इसमें कितने पेज थे
यह उपन्यास 31 अगस्त 2006 को पब्लिश हुआ था । यह उपन्यास तक़रीबन 336 पेज का था ।

आज किरण देसाई पुरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है ।

वो भारतीय महिला जो कि हीरोइन ऑफ़ हाईजैक के नाम से पुरे विश्व में प्रसिद्ध हुई ।

नीरजा भनोट वो भारतीय महिला जो कि हीरोइन ऑफ़ हाईजैक के नाम से पुरे विश्व में प्रसिद्ध हुई ।
नीरजा भनोट ने दूसरो के जीवन की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था ।

नीरजा भनोट की बहादुरी की क्या घटना थी
मुंबई से जा रहे विमान को आंतकवादियो ने कराची में अपहरण कर दिया । उस समय नीरजा भनोट के जो भी सीनियर थे । मौका देख भाग निकले थे । उस समय नीरजा विमान परिचारिका थी । उन्होंने लोगो को निकालने के लिए इमरजेंसी दरवाजा खोलने का प्रयास किया और वे दरवाजे को खोलने में कामयाब रही और यात्रियों को सुरक्षित निकलने का रास्ता बनाया ।

अगर उस समय नीरजा भनोट चाहती तो वो खुद निकल सकती थी । लेकिन नीरजा ने खुद के पहले यात्रियों की जिंदगी को प्राथमिकता दी । यात्रियों को निकाला लेकिन जब आतंकवादी को पता चला तो उसने तीन बच्चो पर गोली चलाने का प्रयास किया ।
लेकिन उस समय नीरजा बीच में आकर उस आतंकवादी का मुकाबला किया और उस समय उन्हें गोली लगने से नीरजा की मृत्यु हो गयी और वो शहीद हो गयी ।

यह घटना कब घटी थी
यह घटना 5 सितम्बर 1986 को घटी थी ।

नीरजा भनोट को भारत सरकार द्वारा दिया गया सम्मान
नीरजा भनोट को भारत सरकार ने वीरता और साहस के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया ।
अशोक चक्र भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है ।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरजा भनोट का नाम हीरोइन ऑफ़ हाईजैक के नाम से प्रसिद्ध हुई । आज भी लोग उनके कारनामे को याद करते है और आगे भी करते रहेंगे ।

नीरजा भनोट के इस बलिदान को याद रखने के लिए 2016 में फिल्म बनी जिसमे नीरजा भनोट का किरदार सोनम कपूर ने निभाया ।

नीरजा भनोट के इस बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा  ।


Monday, 4 September 2017

मदनलाल ढींगरा अंग्रेज अधिकारी को गोली मारने वाले क्रांतिकारी है

मदनलाल ढींगरा अंग्रेज अधिकारी को गोली मारने वाले क्रांतिकारी है । मदनलाल ढींगरा जब इंग्लैंड में पढाई कर रहे थे तब उन्होंने एक अंग्रेज अधिकारी को गोलीयों से उसे मार दिया था ।

मदनलाल ढींगरा का जन्म कब हुआ

मदनलाल ढींगरा का जन्म वर्ष 1883 में हुआ था उनका जन्म अमृतसर में हुआ था । उनके पिता दितामल एक जाने माने सिविल सर्जन थे और वे पूरी तरह अंग्रेजी रूप में ढले हुए थे और उनकी अंग्रेजो में काफी अच्छी जान पहचान भी थी । मदनलाल जी की माता जी भारतीय संस्कृति और संस्कारो की धनी महिला थी ।

मदनलाल ढींगरा लन्दन क्यों और कब गए
मदनलाल ढींगरा 1906 में उच्च शिक्षा पाने के लिए इंग्लैंड चले गए और उन्होंने वहां पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग मतलब की यांत्रिकी अभियांत्रिकी में प्रवेश लिया उन्होंने अपनी यह पढाई यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लन्दन में की ।

कब और किस अंग्रेज अधिकारी को गोली मारी
अंग्रेज अधिकारी को गोली मारने का एक कारण यह भी था कि मदनलाल ढींगरा भारतीय क्रांतिकारियों को फांसी की सजा देने से नाराज़ थे ।

1 जुलाई सुन 1909 में इंडियन नेशनल एसोसिएशन के वार्षिकोतस्व में खूब सारे अंग्रेज और भारतीय शामिल हुए थे । उस दौरान मदनलाल ढींगरा ने विलियम हट कर्जन वायली नाम के एक अंग्रेज अधिकारी को गोलियों से मार दिया । उसके बाद मदनलाल ढींगरा ने अपने आप को गोली मारनी चाही परन्तु वे सफल नहीं हो सके और पकड़े गए ।

मदनलाल ढींगरा को कब मिली फांसी की सजा
23 जुलाई 1909 को फांसी की सजा सुनाई गयी और 17 अगस्त 1909 को वे भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और सदा के लिए अमर हो गए ।

Sunday, 3 September 2017

भारत में पहली बार मोटर कार रेली उससे जुडी अहम जानकारी


भारत में आज के समय मोटर कार कोई बड़ी बात नहीं है । परंतु कुछ वर्ष पहले तक इसे विलासिता से जोड़ा जाता था ।
आज कल तो मोटर कार की रेसिंग प्रोफेशनल स्तर पर होती है । मोटर कार की रेसिंग देखने भी खूब सारे लोग आते है । पैसा भी बहुत अधिक लग जाता है ।

मोटर कार की रेसिंग में सब तरह की सुविधाए और सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जाता है ।
लेकिंन आप को पता है कि भारत में पहली बार मोटर कार की रैली भारत की आज़ादी के काफी वर्ष पहले हो गयी थी ।

भारत में पहली बार कार रेली कब हुई थी
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भारत में पहली बार मोटर कार रैली वर्ष 1904 में 28 अगस्त को हुई थी । मतलब कि आज से तक़रीबन 113 वर्ष पहले भारत में पहली कार रैली हुई थी । यह काफी अधिक पहले हुई रैली हैं ।

भारत में पहली बार मोटर कार रैली कहाँ पर निकली गयी थी
IMAGE SOURCE: GOOGLE 
भारत में पहली बार मोटर कार रैली कलकता शहर से निकाली गयी थी। आज से 113 साल पहले कलकता मे हुई थी ।

भारत में पहली मोटर कार रैली का आयोजन किसने किया था
भारत में पहली मोटर कार रैली जो कि कलकता मे हुई उसका आयोजन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल ने किया था ।

पहली मोटर कार रैली कितनी लम्बी थी और कहाँ से कहाँ तक थी
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भारत की पहली मोटर कार रैली 40 किलोमीटर लम्बी थी और यह मोटर कार रैली कलकता से चालु होकर बैरकपुर तक गयी थी ।

इस रैली को उस समय की सबसे प्रसिद्ध रैली माना गया था । यह अपने आप में एक अलग ही उत्साह का विषय था ।

यह मोटर रैली आज भारत का इतिहास है ।




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