Tuesday, 29 August 2017

भारत के महानतम खिलाडी मेजर ध्यानचंद सिंह की भारतीय हॉकी से जुडी अहम बातें

भारत के महानतम खिलाडी मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय हॉकी का ऐसा नाम है जिसे हर कोई जानता है । यदि भारत में कोई हॉकी को जानता है तो वह महान खिलाडी मेजर ध्यानचंद को अवश्य ही जानता होगा ।
इसके अलावा और भी बहुत सारे लोग है जो की मेजर ध्यानचंद को जानते है । महान खिलाडी मेजर ध्यानचंद भारत और भारत के बाहर भी बहुत अधिक प्रसिद्ध है । मेजर ध्यानचंद सिंह ने अपनी एक अमिट पहचान बनायी हुई है ।

मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म
भारत के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म 29 अगस्त 1905 में हुआ था । मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म भारत के इलाहाबाद में हुआ था ।

मेजर ध्यानचंद सिंह का हॉकी खेल मे खिलाडी के तौर पर
मेजर ध्यानचंद सिंह भारत के महान खिलाडी केवल भारत के हॉकी के श्रेष्ट खिलाडी नहीं थे। बल्कि मेजर ध्यानचंद सिंह पुरे विश्व में हॉकी के सर्वश्रेष्ट खिलाडी मे से एक थे ।
मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय फील्ड हॉकी के खिलाडी और भारतीय टीम के कप्तान भी रहे ।

मेजर ध्यानचंद सिंह हॉकी में किस स्थान पर खेलते थे
मेजर ध्यानचंद सिंह हॉकी में फॉरवर्ड में खेलते थे।

मेजर ध्यानचंद भारत की हॉकी टीम से कब जुड़े
मेजर ध्यानचंद भारत की हॉकी टीम से 1926 से 1948 के बीच की अवधि में जुड़े रहे थे । तब मेजर ध्यानचंद ने बहुत नाम कमाया जो आज तक चल रहा हैं और आगे भी चलता रहेगा ।
मेजर ध्यानचंद सिंह ने भारतीय हॉकी खेल को नयी बुलंदियों तक पंहुचा दिया और विश्व मे हाँकी खेल को एक नयी पहचान दिलाई है ।

मेजर ध्यानचंद सिंह की मृत्यु
भारत के महानतम हॉकी के खिलाडी मेजर ध्यानचंद सिंह की मृत्यु 3 दिसम्बर 1979 को हुई थी ।
उस समय भारत के महान खिलाडी मेजर ध्यानचंद सिंह की उम्र 74 वर्ष थी ।
भारत के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह भारत को विश्व स्तर पर एक अलग पहचान बनायीं और आगे लेकर आये

मेजर ध्यानचंद सिंह पर हमें गर्व है । मेजर ध्यानचंद सिंह का आज जन्मदिन भी है । वे आज भी हर भारतीय के लिए महानतम खिलाडी के रूप में बसे हुए है । हर भारतीय के दिल में मेजर ध्यानचंद के प्रति सम्मान हमेशा बना रहेगा और आगे आने वाले दिनों मे बढता रहेगा ।





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Monday, 28 August 2017

महान क्रांतिकारियों में से ही एक राजगुरु जी के जीवन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें

आज भारत देश के सभी लोगो को पता है की कैसे श्री भगत सिंह और श्री राजगुरु और श्री सुखदेव ने भारत की आजादी के लिए फांसी तक को भी स्वीकार कर लिया । अपने प्राणों की परवाह किये बिना 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने प्राणों का बलिदान भारत देश की आज़ादी के लिए दे दिया ।

इन तीनो महान क्रांतिकारियों में से ही एक राजगुरु जी के जीवन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें ।

महान क्रांतिकारी राजगुरु का जन्म कब हुआ
भारत के महान क्रांतिकारी राजगुरु का जन्म हिंदी तिथि के अनुसार भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रियोदशी तिथि को हुआ था ।  उस समय विक्रम संवत 1965 था । उस हिसाब से उनका जन्म 24 अगस्त 1908 में हुआ था ।
राजगुरु का जन्म खेडा गाँव में हुआ था जो की पुणे जिले में आता है ।

महान क्रांतिकारी राजगुरु का पूरा नाम क्या था
राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था वे भारत के प्रमुख एवं महान क्रांतिकारियों में से एक थे ।

महान क्रांतिकारी राजगुरु की शिक्षा
महान क्रांतिकारी राजगुरु केवल 6 वर्ष की उम्र में ही घर छोडकर राजगुरु वाराणसी संस्कृत सीखने और विद्या ग्रहण करने के लिए आ गए थे । इतनी छोटी उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था और शिक्षा के लिए काशी आ गये थे ।
महान क्रांतिकारी राजगुरु वेद और धर्म ग्रंथो का भी अध्ययन किया था ।
राजगुरु छत्रपति शिवाजी के बहुत बड़े प्रशंशक थे । राजगुरु को व्यायाम करना बहुत पसंद था ।

राजगुरु का भारत की आजादी के लिए संघर्ष 
राजगुरु जब शिक्षा ले रहे थे उसी दौरान राजगुरु क्रांतिकारियों के संपर्क में आये । वे हिन्दुस्थान सोशलिस्ट पार्टी से भी जुड़े।
इस पार्टी में राजगुरु को रघुनाथ नाम से जाना जाता था ।

राजगुरु को फांसी की सजा कब हुई थी
महान क्रांतिकारी राजगुरु को फांसी की सजा 23 मार्च 1931 को महान क्रांतिकारी भगत सिंह और महान क्रांतिकारी सुखदेव के साथ लाहौर के सेंट्रल जेल में दी गयी थी ।
उस दिन भारत की आज़ादी के लिए इन महान क्रांतिकारीयों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया ।

भारत के इस महान क्रांतिकारी योद्धा को हमारा शत् शत् नमन हैं । वे आज भी हर भारतीय के लिए अमर है और हमेशा ही अमर रहेंगे ।




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Saturday, 26 August 2017

भारत का सबसे लंबा केबल पर टिका पुल

भारत का सबसे लंबा केबल पर टिका पुल कलकता का विधासागर सेतू है । विधासागर सेतू पुल हुगली नदी पर बनाया गया है।
इस पुल का नाम विद्यासागर सेतु एक महान पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम पर पड़ा जो की एक जाने माने शिक्षाविद और समाजसेवी थे ।

पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म
पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। और उनका बचपन का नाम ईश्वर चंद्र बंदोपाध्याय था ।

विद्यासागर की उपाधि किस लिये मिली थी
पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर उच्च कोटि के विद्वान थे । इसी कारण से उन्हें अपनी विद्वता के लिए ही विद्यासागर की उपाधि मिली थी ।

पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर किस कारण से इतने लोकप्रिय हुए
पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक समाजसेवक थे । पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने नारी शिक्षा को बढावा दिया था। पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर कलकता में बहुत सारे बालिका विद्यालयों की स्थापना भी की थी ।
विद्यासागर एक दार्शनिक और शिक्षाशास्त्री लेखक अनुवादक और मुद्रक आदि थे । पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया और उसका प्रचार प्रसार भी किया ।
उन्होंने बांगला भाषा को भी बढावा दिया था ।

इस तरह पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर जो की एक समाजसेवी उनके नाम पर भारत के इस सबसे लम्बे केबल पर टिकें पुल का नाम पड़ा है ।




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मद्रास शहर के नाम के पीछे का कारण क्या हैं और उससे जुड़ी कहानी

मद्रास शहर जो की अब तो चेन्नई के नाम से पहचाना जाता है । परन्तु चेन्नई का पुराना नाम मद्रास था । मद्रास का यह नाम केसे पडा था इसकी भी कुछ एक कहानी है । जो की इस प्रकार हैं ।
मद्रास के नाम के कारण में काफी सारे मतभेद है । कोई मद्रास नाम की कुछ कहानी सुनाता है । तो कोई कुछ उनमे से कुछ कहानियाँ इस प्रकार है ।

मद्रास के नाम के पीछे का कारण क्या हैं और उससे जुड़ी कहानी
मद्रास शहर का नाम एक मछली पकड़ने वाले गाँव के नाम पर पड़ा है । उस गाँव का नाम मद्रासपट्टीनम है । इस तरह मद्रास शहर का नामकरण मद्रासपट्टीनम गाँव के नाम पर हुआ हैं।
अंग्रेजो के मानचित्र के अनुसार मद्रास मूल रूप से मुन्दिर राज थे ।

विजयनगर युग के अहम शिलालेख जो की वर्ष 1367 के है ।उन शिलालेख मे भी मादरसन पट्टणम नाम के बंदरगाह के बारे में लिखा है ।
इस पुराने शिलालेख ने मद्रास नाम की उत्पत्ति कहां से हुई इस बात की काफी हद तक पुष्टि कर दी है ।

एक और कहानी मद्रास शब्द की उत्पति कहाँ से हुई और क्या अर्थ है
एक कहानी ऐसी भी है जिसमे कहा जाता है कि मद्रास शब्द की उत्पति पुर्तगाली शब्द से हुई है ऐसा कुछ लोगों का मानना हैं ।
उन लोगों का कहना है कि मद्रास शब्द की उत्पति मैए डी डिस नामक पुर्तगाली वाक्य से हुई है । उस पुर्तगाली वाक्य का अर्थ है भगवान् की माँ ।

एक और रोचक और मजेदार कहानी है जो की मद्रास के नामकरण से सम्बंधित
एक कहानी यह भी है कि ऐसा माना जाता है की मद्रास शहर का नाम एक पुर्तगाली ऑफिसर था । जिसका नाम माद्रे डी सॉइस था । उसके नाम पर मद्रास शहर का नाम पड़ा है । क्योंकि वह ऑफिसर यहाँ रहने वाले पहले लोगों में शामिल था । वह आँफिसर वर्ष 1550 में यहाँ आकर रहा था । मद्रास के नामकरण का यह भी एक कारण हो सकता है ।

मद्रास आज भारत के चार मेट्रो शहरों में से एक है और अपनी एक अलग ही पहचान बनायी हुई है । मद्रास दक्षिण भारत का सबसे बड़ा शेक्षिक सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र भी है ।
मद्रास के नाम का जो भी कारण हो पर सारे ही रोचक है और अपना एक इतिहास लिए हुए है । यह सारे कारण रोचक और मजेदार है ।




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Thursday, 24 August 2017

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की डिज़ाइन

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की डिज़ाइन भारत के एक जाने माने स्वतंत्रता सेनानी जिनका नाम पिंगली वेंकैया था । उन्होंने तिरंगे के डिज़ाइन को बनाया था । 
भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन के निर्माण में पिंगली वेंकैया का योगदान
1916 से 1921 तक विभिन्न प्रकार के झंडों का अध्ययन किया और वेंकैया ने दो रंग लाल और हरे रंग का ध्वज बनाया पर इसको अधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली ।
इस दौरान हंसराज जो की जालंधर के रहने वाले थे उन्होंने ध्वज में चक्र बनाने का सुझाव दिया ।
इसके बाद पिंगली वेंकैया ने चक्र को भी ध्वज में शामिल किया इस दौरान उन्हें सफ़ेद रंग को ध्वज में शामिल करने का सुझाव महात्मा गाँधी ने दिया और इसके बाद पिंगली वेंकैया ने सफ़ेद रंग को भी ध्वज में शामिल कर दिया था । 
1931 में कराची में अखिल भारतीय सम्मेलन में सबकी सहमति से केसरिया रंग और सफेद रंग और हरे रंग को स्वीकृत किया गया । बाद में इस राष्ट्रीय ध्वज पर चरखे की जगह अशोक चक्र लगाया गया ।
पिंगली वेंकैया का जन्म
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 में भाटलापेंनुमारू नामक स्थान पर हुआ था यह जगह मच्लिपटनम क्षेत्र में आती है जो की आंद्रप्रदेश का भाग है ।
पिंगली वेंकैया तेलुगु ब्राह्मण कुल नियोगी से सम्बंधित थे ।
पिंगली वेंकैया की शिक्षा
पिंगली वेंकैया ने अपनी हाई स्कूल मच्लिपटनम से पूरी की ।
बाद में उन्होंने आगे की शिक्षा उन्होंने कोलम्बो से पूरी की । बाद में उर्दू और जापानी भाषा का अध्यन करने वे लाहोर चले गए थे । 
पिंगली वेंकैया किन किन विषयों के जानकार थे
पिंगली वेंकैया को कई सारे विषयों के जानकार थे।
भूविज्ञान का बहुत अच्छा ज्ञान था वह हीरे की खानों के विशेषज्ञ थे ।
उन्हें कृषि क्षेत्र का भी काफी ज्ञान था ।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा जो की आज हर भारतीय की शान है की डिजाईन पिंगली वेंकैया बनायीं ।




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